सोमवार, 23 जुलाई 2012

"बावजी, आप दुनिया हो!!" -ऋषि बना (बन्जी)

                  और बन्जी (ऋषि बना) ने हम सबको धोखा दे दिया। वो तो चले गये, मग़र काफी-कुछ सोचने और सीखने के लिए छोड़ गए। बहुत बड़ी-बड़ी बातें और बेहद ख़ूबसूरत सपनों को हकीक़त में जीने वाला बंदा, अब अतीत हो चुका है।



   
      रविवार को ऋषि बना ने मुझे करीब 6:45pm call करके बताया कि वो मंगरोप (उनका पैतृक गांव) से अहमदाबाद के लिए निकल चुके हैं।  और रात को मेरे restaurant में dinner करने की इच्छा भी ज़ाहिर की। जब रात को 12 बजे हम थोड़ा free हुए तब याद आया कि बना पधारने वाले थे। जब call किया तो unanswered था। काफी बार ऐसा हुआ कि ऋषि बना सीधे अहमदाबाद निकल जाते थे। 
                              सुबह करीब 8:30am हम दोनों के एक common friend प्रदीप सा का call आया कि ऋषि बना का कल रात road accident  में निधन हो गया।
                              



एकबारगी तो लगा कि ये कोई भद्दा मज़ाक है। काश मज़ाक ही होता। ये यकीन करना अब भी काफ़ी मुश्किल है, एक ज़िंदादिल, अपने सपनो को पूरा करने वाला लड़का और सबसे उम्दा किस्सागो इस दुनिया से कूच कर गया है।

           
              ऋषि बना से मेरी पहली मुलाक़ात 2010 में AZURE (अहमदाबाद) में हुई थी और मेरे अलावा पुरे staff में वो ही मेवाड़ी थे। मेरे एक colleague ने हमारा  intro  करवाया और करीब 15 minutes की बात में हम इत्ते ज्यादा घुलमिल गए कि सभी को हैरत हुई। हमारी दोस्ती की सबसे बड़ी  बुनियाद थी: हमारे संगीत और शायरी को  होने वाले विवाद और एक से विचार। मेरी हर बात पर वो ठहाके लगाते थे। बाद के दिनों में वो मेरे रूम partner भी बने।

   


                    मैं क़ाफ़ी मूडी moody हूँ और शायद यही कारण था कि मैं हर छोटी बात पर नाराज़ हो जाता था और बन्जी हमेशा मुझे मना लेते थे। उन्हें बातें करने, खासतौर पर किस्से सुनाने का बड़ा शौक था। जबकि मैं हमेशा एकांत में रहना पसंद करता था। मैं  क्या कर रहा हूँ, कहाँ busy  हूँ, उससे उन्हें कोई मतलब  नहीं था। वो तो बस हमेशा अपने  किस्सों  के साथ  मेरे सामने तैयार रहते थे। मुझे हमेशा पूरा मान देते थे जबकि मैं उनसे उम्र में छोटा था। 

     


         अगर मैं आपको उनके किस्से सुनाना शुरू हुआ तो यक़ीनन एक क़िताब लिखना ज़्यादा मुनासिब होगा। उनमें किसी भी घटना या कहानी को लफ़्ज़ों में बयान करने का गज़ब हुनर था, शायद इसलिए मैं उन्हें किस्सागो कहा करता था। 
                अपने seniors की नाराज़गी को वो अपनी वाक्पटुता से पल में दूर कर देते थे। मुझे नहीं लगता कि उनके इस जादू से कोई बच पाया हो। AZURE के market research deptt. में वो सबसे smart employee के तौर पर याद किये जायेंगे। 






         हमारी गाढ़ी दोस्ती में भी कई मर्तबा दरार आई, जिसकी ख़ास वजह ऋषि बना की अधिकार थोपने की आदत रही। अगर मैं किसी और को अपना वक़्त दूं या अपनी दुनिया में मसरूफ रहूँ, तो ये उन्हें बर्दाश्त नहीं होता था। वो चाहते थे कि मैं बस उन्ही का अज़ीज़ रहूँ। मगर time के साथ उन्हें भान हुआ कि मैं अव्वल दर्जे का मूडी हूँ। मेरे ऊपर बाक़ायदा उन्होंने study की और मुझे "दुनिया" title से नवाज़ा। 
    "बावजी (मुझे वो इसी नाम से संबोधित करते थे), यार आप दुनिया हो। आपने हमझनो मुश्किल है। कदी तो राजी रो अन कदी जो कणी दुनिया में परा जाओ।" (आपको समझना मुश्किल है। कभी तो आप खुश रहते हो और कभी अपनी ही दुनिया में खो जाते हो।)


         मैं हमारे दौर के महान शायर जनाब गुलज़ार साहब की अच्छी-खासी mimicry कर लेता हूँ। अब बन्जी को मेरी आवाज़ में हर शायरी सुनने की ऐसी आदत पड़ी कि किसी साधारण बात को भी वो मुझे शायराना लहजे में सुनाने को कहते और उनकी मक्खनबाजी इतनी सही होती थी कि मैं कभी मना नहीं कर पाता था। 
    एक दिन मुझसे पूछने लगे कि, "यार हर language में I Love You का पर्याय है पर मेवाड़ी में क्यूँ नहीं है? बात सोचने वाली थी। आखिरकार आपसी रजामंदी से हमने मेवाड़ी में I love you का पर्याय  बना ही लिया: "ले खई?" (कहो, क्या इरादा है?) 


     उसके बाद तो कोई भी बात हो, वो "ले खई?" जरूर use  करते थे। 
                 अपने बचपन से लेकर जवानी तक के हर अच्छे-बुरे दौर के बारे में उन्होंने इतना detailed ब्यौरा दिया है कि उसमे से मैं कई दिलचस्प कहानियां बना सकता हूँ। इतना जिंदादिल दिखने वाले बन्जी अन्दर से काफी गंभीर और गहरे थे। 
    काफी कुछ है बताने को, मगर उन किस्सों को जीने वाला सो चुका है। दुःख इस बात का है कि वो पूरी जिंदगी जीना चाहते थे, मगर कम वक़्त में शायद उन्होंने भरपूर जिंदगी का दोहन किया, और ये बात ज़िन्दगी को अखर गयी। सब-कुछ यही रह गया। सारे भविष्य के plan हवाई हो गए। एक मौज़ थी, जो आई, छाई और लौट गयी। 


          प्रियंका भाभीसा!! बन्जी हमारी प्रार्थनाओं में, हमारे किस्सों, हमारी बातों में हमेशा याद किये जायेंगे। भगवान, आपको इस अपूरणीय क्षति से उबरने का संबल प्रदान करे। 


श्रद्धावनत 
राजसावा