शनिवार, 19 मई 2012

Re-आरम्भ


हां भाई हां!!

काफी दिनों के बाद..


क्या करें..!! 


        पता ही नहीं चला, कि कब अपने रस्ते से उतरकर मैं पगडंडियों पर चल पड़ा. 


बस, "ये भी बीत जायेगा" को जीवनसार मानकर सब अच्छा करने कि जद में "कुछ" से "कुछ भी नहीं" हो गया. 
अब जबकि थोडा वक़्त मिला है, तो मैं फिर से लिखने कि जिद पे अड़ा हूँ. ये भी जानता हूँ कि इत्ता ख़ास भी नहीं रच लूँगा. 
          अहमदाबाद में एक कहानी शुरू की थी ("अट्टहास") जो कि दौड़ भाग और उथल-पुथल में उलझ कर रह गयी और आज जब उसे खोला तो देखा कि उसकी तो चूहों ने धज्जियां उड़ा दी है. 
                 एकबारगी तो लगा कि किसी ने मेरी संपत्ति जला दी हो. मग़र कुछ फायदा सोग मनाने का.? नहीं ना? तो फिर??


             अब फिर से जिद है कुछ अपने लिए लिखने की और आप सबके साथ  बांटने की... हो सकता है आप में से बहुतों को मेरे विषय से आपत्ति हो, मग़र मैं आपकी तीखी प्रतिक्रिया चाहूँगा.. 


तो अगली पोस्ट तक झेलते रहिये


IPL matches को, इस सरकार को और मुझे भी.. 


साधुवाद


राजसावा